नित्य व्योम में चलते- चलते जब भी, दिनकर थक जाता है। नित्य व्योम में चलते- चलते जब भी, दिनकर थक जाता है।
कान्हा मुझे पुकार रहे थे, होली खेलन आए थे। कान्हा मुझे पुकार रहे थे, होली खेलन आए थे।
क्या हाथ धो धो कर होगी छुट्टी वैक्सिनेशन से। क्या हाथ धो धो कर होगी छुट्टी वैक्सिनेशन से।
दादा दादी नहीं है साथ और आँखें नम हो गयी हैं तरक्की तो हुई है पर वो ज़िन्दगी अब कहाँ रह गयी है ? दादा दादी नहीं है साथ और आँखें नम हो गयी हैं तरक्की तो हुई है पर वो ज़िन्दगी...
अब तो संडे हो या मंडे जिंदगी लगे एक समान हर दिन लगे एक सा। अब तो संडे हो या मंडे जिंदगी लगे एक समान हर दिन लगे एक सा।
स्कूल की छुट्टी होते ही बच्चों को पंख लग जातें हैं स्कूल की छुट्टी होते ही बच्चों को पंख लग जातें हैं